Friday, February 24, 2017

तेरी यादों को बिछाना,
तेरी ही यादों को ओढ़ लेना,
साँसों के टूटे तार को,
तेरी खुशबू से जोड़ लेना,
था कभी सिलसिला मुक़म्मल सा,
तेरी जानिब मेरा दौड़ लेना,
अब न तू ही है,
ना सदा कोई,
किसकी खातिर,
सितारे तोड़ लेना,
तेरा इंतज़ार ही मुसलसल है,
रुख क्यूँ हालात से मोड़ लेना,
इक दस्तूर यही बाकी है,
हर दस्तूर को बदस्तूर तोड़ देना

#मुदित (24.02.2017)

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