सुनहरे पल
अक्सर ज़िद्दी हुआ करते हैं
हाँ
देखा है मैंने
और कोशिश भी तो बहुत की
बाँह पकड़कर भी रोका
मगर
रोक न पाया
काश
उन्ही पलों में जी लेता एक ज़िंदगी
वैसे भी बचपन
जात, पात, ऊँच, नीच, तेरा, मेरा
सबसे दूर होता है
सुजल, कोमल, निर्मल, उज्जवल
बाकी तो बस सफ़र है
आखिरी मंज़िल तक पहुचने का
#मुदित
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