इंसान में इंसान सी खुशबू जहाँ मिले
जन्नत का उस जगह से कोई रास्ता मिले
चेहरों पे ज़र्द हो चली मुस्कान बेवजह
हँसता हुआ चेहरा कोई तो बावजाह मिले
लौटा है बाद इक दौर के इस दौर में राही
कोई बशर इस दौर में उस दौर सा मिले
तनहाइयों का शोर बहुत बढ़ गया राही
अब राह में कोई पुरसुकूं सा काफिला मिले
जीवन तो जी लिया हूँ चलूँ मौत की जानिब
उससे भी गुफ्तगू हो कोई फ़लसफ़ा मिले
ज़ुल्मत अता करे मुझे चाहे खुदा जितनी
तेरी जुदाई का न कभी रास्ता मिले
#मुदित
जन्नत का उस जगह से कोई रास्ता मिले
चेहरों पे ज़र्द हो चली मुस्कान बेवजह
हँसता हुआ चेहरा कोई तो बावजाह मिले
लौटा है बाद इक दौर के इस दौर में राही
कोई बशर इस दौर में उस दौर सा मिले
तनहाइयों का शोर बहुत बढ़ गया राही
अब राह में कोई पुरसुकूं सा काफिला मिले
जीवन तो जी लिया हूँ चलूँ मौत की जानिब
उससे भी गुफ्तगू हो कोई फ़लसफ़ा मिले
ज़ुल्मत अता करे मुझे चाहे खुदा जितनी
तेरी जुदाई का न कभी रास्ता मिले
#मुदित
No comments:
Post a Comment