POETRY HUB
Saturday, February 11, 2017
चलो अच्छा है,
छुड़ा ही लिया उसने दामन,
अब न वो दिखावे की मुहब्बत,
न मिलने का इंतज़ार होगा,
न वो चेहरे पे झूँठी हँसी पहनकर,
निकलना होगा साँझ से मिलने,
रोज़मर्रा के कामों से,
कुछ लम्हे चुराकर,
न अब कभी इंतज़ार होगा
किसी मंज़िल का,
#मुदित
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