Saturday, February 11, 2017

अकेले आना,
अकेले जाना,
शायद यही, दस्तूर है ज़िन्दगी का,
जाने फिर क्यूँ,
जन्म-जन्मान्तर की,
कसम खाते हैं लोग,
रुख़ हवा का,
ज़रा सा जो बदला,
अक्सर नज़र,
बदल जाते हैं लोग
चमक चेहरे पे,
आ जाती है
उनके आने से,
या,
चेहरे की चमक को"
देखकर ही आते हैं लोग
दिल को अच्छाई का,
ज़रा सा जो रंग लगाओ तो
जमकर फायदा,
उठाते हैं लोग
फितरत "राही" की
क्यूँ बदले नहीं बदलती,
बदलते-बदलते यूँ तो,
बदल जाते हैं लोग

#मुदित

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