POETRY HUB
Saturday, February 11, 2017
जिस घर जाना नहीं,
अब भी उसी के रास्ते ढूंढता हूँ
जाने क्यूँ गर्द-ए-सफ़र ढूँढता हूँ,
जाने किस वास्ते ढूँढता हूँ
##मुदित
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