Saturday, February 11, 2017

अँधेरी डगर में कहीं इक दिया...
यूँही साथ मुझको तेरा दे दिया...
क्या माँगू खुदा से मैं इसके सिवा...
फ़लक पे बशर को बैठा जो दिया..
खुदा साथ है ग़र मेरे साथ तू..
खुदा ने मुझे इक खुदा दे दिया..
तू मग़रिब और मशरिक का उनवान है...
मुझे जैसे इक हमनवा दे दिया...
नहीं हाथ उठते दुआ के लिए..
कि उसने मुझे बे-पनाह दे दिया...
घने जंगलों में भटकता है क्यूँ...
ऐ राही तुझे कारवां दे दिया...

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